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तुम अगर साथ दो तो,सम्हल जाऊँगा।
मुश्किलों के भँवर से निकल जाऊँगा।
जिंदगी के सफर में है,फिसलन बहुत
थाम लो हाथ वरना फिसल जाऊँगा।
मैं समंदर हूँ गर,तुम हो लहरे मेरी,
मैं गजल हूँ अगर,तुम हो बहरें मेरी।।
मैं बदन हूँ वो जिसका,तुम्ही
रूह हो
साथ छोड़ोगे गर,तो मैं मर जाऊँगा!!
धोखे खाकर सदा ही,मैं
रोता रहा
पीकर आँसू सदा ,प्रेम
बोंता रहा
पीर सहकर मेरा दिल है
पत्थर हुआ
प्यार पाकर तुम्हारा, पिघल जाऊँगा!
मुद्दतो से थी रूठी,ये
मुस्कान है
जाने गुम थी ,कहां मेरी
पहचान है
हाथ थामा है गर,तो ये वादा रहा
मैं वो मौसम नही जो बदल जाऊँगा।
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