दुःख के मरुस्थल में,राहत की वृष्टि है माँ ! दया,प्रेम,करुणा,ममता की दृष्टि है माँ ! धरती और आसमान की सीमा में न बांधो उसे मेरी नजरों में स्वयं में सम्पूर्ण सृष्टि है माँ!!
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