रविवार, 13 मई 2018

सम्पूर्ण सृष्टि है माँ

दुःख के मरुस्थल में,राहत की वृष्टि है माँ !
दया,प्रेम,करुणा,ममता की दृष्टि है माँ !
धरती और आसमान की सीमा में न बांधो उसे
मेरी नजरों में स्वयं में सम्पूर्ण सृष्टि है माँ!!

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