रविवार, 27 मई 2018

ऐसे रविन्द्र भैया को,,,

अंधेरा लाख गहरा हो पर रवि रुकता कब है
जनता का हितैषी ,यह बन्दा झुकता कब है!

किसान हितो को लेकर सतत मुखर रहता है
उनके सुख दुख को सदा ही अपना कहता है!

कद ऊँचा है पर जमीन ही इसको भाता है
बड़ा सादा है चीला-चटनी छाँव से खाता है!

मौहाभाठा मातृभूमि,साजा जिनकी पहचान है
अधरों पर अल्हड़ मुस्कान ही जिनकी शान है!

कुछ जहाँ पद पाकर औकात भूल जाते है
रसूख का फायदा उठा सबको सताते है!

"शब्दवीर"नही ये कृतित्व से जाने जाते है
  यह ऐसे नेता है जो दिलों में घर बनाते है!

धारदार शैली,सद्भाव ही इनकी पहचान है
बेदाग छवि हेतु विरोधियों में भी सम्मान है!

महाकाल भक्त है उनके धुन में रमें रहतें है
सच के अस्तित्व हेतु सदा ही जमें रहतें है

क्षेत्र की खुशहाली की सदा जो करते कामना है
ऐसे"रविन्द्र भैया"को जन्मदिन की शुभकामना है!!
                                सप्रेम-अमित शर्मा
                                    9589898923
         



शनिवार, 19 मई 2018

तुम अगर साथ दो

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तुम अगर साथ दो तो,सम्हल जाऊँगा।
मुश्किलों के भँवर से निकल जाऊँगा।

जिंदगी के सफर में है,फिसलन बहुत
थाम लो हाथ वरना फिसल जाऊँगा।

मैं समंदर हूँ गर,तुम हो लहरे मेरी,
मैं गजल हूँ अगर,तुम हो बहरें मेरी।।

मैं बदन हूँ वो जिसका,तुम्ही
रूह हो
साथ छोड़ोगे गर,तो मैं मर जाऊँगा!!

धोखे खाकर सदा ही,मैं
रोता रहा
पीकर आँसू सदा ,प्रेम
बोंता रहा

पीर सहकर मेरा दिल है
पत्थर हुआ
प्यार पाकर तुम्हारा, पिघल जाऊँगा!

मुद्दतो से थी रूठी,ये
मुस्कान है
जाने गुम थी ,कहां मेरी
पहचान है

हाथ थामा है गर,तो ये वादा रहा
मैं वो मौसम नही जो बदल जाऊँगा।

रविवार, 13 मई 2018

सम्पूर्ण सृष्टि है माँ

दुःख के मरुस्थल में,राहत की वृष्टि है माँ !
दया,प्रेम,करुणा,ममता की दृष्टि है माँ !
धरती और आसमान की सीमा में न बांधो उसे
मेरी नजरों में स्वयं में सम्पूर्ण सृष्टि है माँ!!

गुरुवार, 10 मई 2018

"बनना है उन्हें शूल"

"बनना है उन्हें शूल"
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इंसानियत की बात अब करना फिजूल है ।
हैवानियत ही बन गयी अब तो उसूल है ।

हर रोज लूट रही है बेटियों की अस्मतें
माँगने पे न्याय कहते है,तुम्हारी ही भूल है!

दरिंदों को नही डर कोई,कानून का यहाँ
शैतान को ही मानते,ये अपना रसूल है!

कितने बने कानून पर,यह धूल नही सका
कबसे जमा हुआ जो,वासना का धूल है!

जो घूरतें है बेटियाँ,औरों की वे सुनले
पाते नही वे आम जो,बोते बबूल है!

सब बेटियों को पाठ यह,माँ बाप सीखा दें
बनना है उन्हें शूल,न कि बनना फूल है !

अपराध तो अपराध है,नही रंग दो इसको
क्यों मौन हो गीता पे औ असीफा पे तूल है!
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सोमवार, 7 मई 2018

खलनायक जिन्ना

देशद्रोही हरपल नया निशाना ढूँढने में लगे है !
देश जलाने नित नया बहाना ढूँढने में लगे है !
लहू उबाल मार रहा है मक्कारी का इनमें रह रहक,
खलनायक "जिन्ना"में अब ये नाना ढूँढने में लगे है !!

आग लगाने देश में,,,,

देशद्रोही है वे जो हरवक्त नया निशाना ढूँढते रहते है !
आग लगाने देश में नित नया बहाना ढूँढते रहते है !
उबाल मारता है जब भी लहू इनमें मक्कारी का,
इशरत में बहन और जिन्ना में नाना ढूँढते रहते है !!

रविवार, 6 मई 2018

तेरे बदलने की आशा में,,,,

आँखों और नींदों का था,वह साथ अनूठा छूट गया !
अधरों संग मुस्कानों का,बंधन भी प्यारा टूट गया !
तेरे बदलने की आशा में,गम सारे ही सहता आया
बहुत संभाला पर आखिर में,बांध सब्र का फूट गया !!

शुक्रवार, 4 मई 2018

भारती का बेटा


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भारती का बेटा है तू,तेज है प्रखर तेरा
यही है आशीष दुनिया में तेरा नाम हो
कर्म ऐसे हो कि माता-पिता का सम्मान बढ़े
संस्कारों से तू दशरथ नंदन राम हो|
वीरता प्रताप की ले रिपुओ का नाश करे
देशधर्म तेरे लिए सर्वोंपरी काम हो
इरादे हो दृढ़ जैसे अडीग हिमालय है
हर लक्ष्य तेरे लिए चुटकी का काम हो|
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कर्म करो यदि इंसानों से

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कर्म करो यदि इंसानों से!
लद जाओगे सम्मानों से!!

लोभ न रखना मन में किंचित!
घिर जाओगे अपमानों से !!

जो सन्तोष न होगा मन में !
दब जाओगे अरमानों से  !!

पा जाओ जो अर्श कभी तो!
फूल न जाना अभिमानों से!!

पग पग में है द्वेष के काँटे !
बचकर रहना शैतानों से!!

बाँटते रहना खुशियाँ सबको!
नेह मिलेगा भगवानों से!!

सच के पथपर चलते रहना!
तनिक न डरना तूफानों से !!
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मापनी : " 22  22  22 22
काफिया : आनों '
रदीफ़ :  से ,

मंगलवार, 1 मई 2018

मैं वही मजदूर हूँ

मैं वही मजदूर हूँ,,,,,,

जमाने को उजाला देकर,अंधेरे में रहने को मजबूर हूँ !
समृद्धि का जनक होकर,स्वयं के विकास से मीलों दूर हूँ !
भूलाया गया सदा अट्टालिकाओं से,जिस नींव का योगदान,
मानवता के के ऐश्वर्य का सर्जक,हाँ मैं वही मजदूर हूँ !!