कहीं से ईंट कहीं से,रोड़ा भिडाकर उसने चोरी की अनेकों,कविता बनाकर उसने पढ़कर रचनाएँ औरों की ही जीवनभर सुना है स्वयं को,दिनकर बता दिया उसने!
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