किसी का ईंट,किसी का गारा चुराकर उसने जोड़तोड़ की अपनी,कविता बनाकर उसने! बटोरकर तालियाँ,दूसरों की लेखनी पर कराया उपहास,खुदको दिनकर बताकर उसने!
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