गुरुवार, 29 मार्च 2018

कराया उपहास

किसी का ईंट,किसी का गारा चुराकर उसने
जोड़तोड़ की अपनी,कविता बनाकर उसने!
बटोरकर तालियाँ,दूसरों की लेखनी पर
कराया उपहास,खुदको दिनकर बताकर उसने!

सुना है स्वयं को


कहीं से ईंट कहीं से,रोड़ा भिडाकर उसने
चोरी की अनेकों,कविता बनाकर उसने
पढ़कर रचनाएँ औरों की ही जीवनभर
सुना है स्वयं को,दिनकर बता दिया उसने!

शुक्रवार, 23 मार्च 2018

मुख में गंगा हो

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चाहता हूँ मैं जीवन देशहित में काम आए
खुले ये लब जब भी देश का ही नाम आए
यही ख्वाहिश है कि कफ़न मेरा तिरंगा हो
आखिरी शब्द हो जय हिंद,मुख में गंगा हो!
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बुधवार, 7 मार्च 2018

है किसान अस्तव्यस्त

है किसान अस्तव्यस्त,व्यवस्था से बड़े त्रस्त
अँखियों में आँसू लिए,पूछते सवाल है!

हाड़तोड़ श्रम कर,अन्न को उगाने वाले
क्यों विवश बेचने को,कौड़ियों में माल है!

तकादे को बार बार,द्वार आता साहूकार
कैसे वें चुकाएँ कर्ज,सोंचके बेहाल है!

मौत ही है बेहतर,जिल्लत के जीवन से
सोंचकर झूल फाँसी,चुन रहे काल है!

सुनिल शर्मा नील
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
सर्वाधिकार सुरक्षित

मंगलवार, 6 मार्च 2018

है किसान अस्तव्यस्त

है किसान अस्तव्यस्त,व्यवस्था से बड़े त्रस्त
अँखियों में आँसू लिए,पूछते सवाल है!
हाड़तोड़ श्रम कर,अन्न को उगाने वाले
क्यों विवश कौड़ियों में,बेंच रहे माल है!
तकादे को बार बार,द्वार आता साहूकार
कैसे वें चुकाएँ कर्ज,सोंचके बेहाल है!
मौत ही है बदतर,जिल्लत के जीवन से
यही सोंच फाँसी झूल,चुन लेते काल है!


द्वार आता साहूकार

है किसान अस्तव्यस्त,व्यवस्था से बड़े त्रस्त
अँखियों में आँसू भर,पूछते सवाल है!

हाड़तोड़ श्रम कर,सबको खिलाने वाले
क्यों विवश कौड़ियों में,बेंच रहे माल है!

कि तकादे को बार बार,द्वार आता साहूकार
कैसे ये चुकेगा कर्ज,सोंचके बेहाल है!

जानते है मिलती है,"गोली"न्याय माँगने पे
इसलिए झूल स्वयं,चुन लेते काल है!

शनिवार, 3 मार्च 2018

पावन होली पर्व


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पावन होली पर्व यह,देता है संदेश
सबको बाँटे प्रेम हम,किंचित ना हो क्लेश!

भस्म करे हम द्वेष को,करें स्वार्थ का नाश
तब ही होगा स्वर्ग सा,धरती में आभास!

नंगाड़ों के थाप सा,जीवन में हो राग
धवल रहे सबका चरित्र,न रहे कोई दाग!

पकवानों से हो मधुर,मीठे सबके बोल
शिकवे सारे भूलकर,सबसे मिल दिलखोल!

नारंगी-पीला-हरित, विविध उड़ाए रंग
लेकिन उर में हम सदा,रखे"तिरँगा"संग!

रखें नियंत्रित हम सदा,वाहन की रफ्तार
है जीवन अनमोल यह,बात यही है सार!

शुचिता हो परिवेश में,शुचिता हो संस्कार
शुचिता ही हो ज्ञान में,जीवन का आधार!

"नील"कहे मद्यपान से,टूट रहे परिवार
बिना व्यसन के मानिए,होली का त्यौहार!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया
7828927284
सर्वाधिकार सुरक्षित

शुक्रवार, 2 मार्च 2018

पावन होली पर्व यह


    पावन होली पर्व यह
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पावन होली पर्व यह,देता है संदेश
सबको बाँटे प्रेम हम,रहे न मन में क्लेश

जले द्वेष की होलिका,करें स्वार्थ का नाश
तब ही होगा स्वर्ग का,धरती में आभास

नंगाड़ों के थाप सा,जीवन में हो राग
हो पुनीत सबका चरित्र,रहे न कोई दाग!

पकवानों से हो मधुर,मीठे अपने बोल
छोड़ गठानें हम सभी,मिले दिलों को खोल

नारंगी पीला हरित, विविध उड़ाए रंग
लेकिन उर में हम सदा,रखे "तिरँगा" संग

रखें हमेशा सीमा में,वाहन की रफ्तार
है जीवन अनमोल यह,इससे करना प्यार

शुचिता का परिवेश हो,शुचिता हो संस्कार
शुचिता ही हो ज्ञान में,जीवन का आधार

"नील"कहे सुरापान से,विकृत है व्यवहार
बिना व्यसन के मानिए,यह होली त्यौहार

शत्रु से भी मिल गले,दिलो को लाये पास
रंगों के त्यौहार को,चलो बनाये खास!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया
7828927284
सर्वाधिकार सुरक्षित

गुरुवार, 1 मार्च 2018

होली का यह पर्व

होली का यह पर्व तो,देता है संदेश
सबको बाँटे प्रीत हम,रहे न कोई क्लेश!

नंगाड़ों के थाप सा,हो जीवन में संगीत
शत्रु कोई न रहे,सब हो अपने मीत!

नारंगी,नीला हरित,अरु गुलाबी  रंग
सबके अंगों पर सजे,