मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018

माटी -घनाक्षरी

माटी ही है धर्म मेरा,माटी ही है कर्म मेरा
माटी का ही यशगान,हरक्षण गाऊँगा!
माटी मेरी पहचान,माटी मेरा स्वाभिमान
माटी आनबानशान,सबको बताऊंगा!
भगत-शेखर-शिवा,बोस,राणा,हमीद सा
मान इसे चंदन मैं,माथ पे लगाऊंगा!
इसके रक्षार्थ गर,सर भी कटाना पड़े
हँसते हुए मैं शीश,माटी को चढ़ाऊँगा!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें