रविवार, 17 दिसंबर 2017

आदमी वेताल नजर आता है

हर आँख खून यहाँ,हर गली लाल है क्यों
देश मेरा आज ये,बेहाल नजर आता है
स्वारथ की लालसा में,हर सीमा लांघ रहा
संस्कारों से आदमी,कंगाल नजर आता है
जिसने है पाला पोसा,सींचकर बड़ा किया
आज उसे बाप भी,जंजाल नजर आता है
नरक के शैतान भी,दंग देख आदमी को
उनसे भी बड़ा ये,वेताल नजर आता है!

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