गुरुवार, 9 नवंबर 2017

कहने को सारी दुनिया है लेकिन कोई खास नही-मुक्तक

पोंछ सके जो आँसू मेरे,ऐसा कोई खास नही
पीर मिली इतनी कि अब तो,रिश्तों में विश्वास नही
दुःख के इन घड़ियों ने मुझको,पाठ यही सिखलाया है
कहने को सारी दुनिया है,लेकिन कोई पास नही।

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