मंगलवार, 7 नवंबर 2017

गा पाऊँ मैं पीर जगत की,,,,

जो  सोए  हैं उन्हें जगाना,कविता की परिभाषा है,।

राष्ट्रधर्म  हो  सबसे पहले,जीवन की यह आशा है,।

युग युग  तक मैं गाया जाऊँ इसका कोई लोभ नही,।

गा पाऊँ मैं पीर जगत की,बस इतनी अभिलाषा है,।।

-सुनील शर्मा नील

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