मंगलवार, 3 अक्तूबर 2017

पाखंडियों पर चंद पंक्तियाँ,,,

पाखंडियों पर चंद पंक्तियाँ,,,,
*******************************
धरम सनातन की,इस गंगधार में जो
नालियों का अपवित्र,नीर घोलते है जी

भगवा बाना पहन,और कंठहार धर
खुद को यहाँ जो बाबा,पीर बोलते है जी

दास-दास बोलते जो,स्वयं भगवान बन 
"काम"के अधीन हो,अधीर डोलते है जी

ऐसे दुःशासनों के मुंड,काटके संहार करो
आस्था के नाम पर जो,चीर खोलते है जी!
********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया
7828927284
COpyright

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें