हुई गल्ती थी क्या मुझसे,समीक्षा कर रहा हूँ मैं स्वयं के आचरण की अब,परीक्षा कर रहा हूँ मैं ढल रहा सूर्य जीवन का,चले आओ न तड़पाओ जलाकर दीप देहरी पर,प्रतीक्षा कर रहा हूँ मैं!
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