रविवार, 13 अगस्त 2017

तिरंगा

तिरँगा
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दुनियाँ का सरदार तिरंगा।
धरती का श्रृंगार तिरंगा।1
चाहे दुश्मन कोई आए
हरदम है तैयार तिरँगा!2
जोभी आया मुँह की खाया
लहराया हर बार तिरंगा!3
पाला न कभी बैर किसी से
यारों का है यार तिरंगा!4
जब भी आए बात आन पे
बन जाता खूँखार तिरंगा!5
जिसके खातिर झूले फाँसी
उन वीरों का प्यार तिरंगा!6
तोड़ गुलामी की जंजीरें
फूटी बन जलधार तिरंगा!7
त्याग तपस्या का है पोषक
सब धर्मों का सार तिरंगा!8
जब-जब भूला विश्व आचरण
सिखलाता व्यवहार तिरंगा!9
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मापनी : 22  22  22  22
काफ़िया : " आर "
रदीफ़ : " तिरंगा "

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सुनिल शर्मा नील

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