गुरुवार, 4 मई 2017

मगर दिल फिर भी मिलते है

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जमाने में मुहब्बत से,सदा ही लोग
जलते है
किया करते मुहब्बत जो,सदा शोलों
पे चलते है
मगर ये है हवा जिसको,कहाँ कोई बाँध 
पाया है
दिलों में है बहुत पहरे,मगर दिल फिर भी
मिलते है
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सुनील शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284

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