गरिमा मेरे स्वाभिमान की कभी नहीं चुक सकती है । नजर किसी के सन्मुख मेरी कभी नहीं झुक सकती है । जब तक अश्रू नहीं रुकेगें शोषित जन की आँखों के । तब तक मेरे इंकलाब की कलम नहीं रुक सकती है ।
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