गुरुवार, 6 अप्रैल 2017

कलम नही रूक सकती है,,,,,

गरिमा मेरे स्वाभिमान की कभी नहीं चुक सकती है ।
नजर किसी के सन्मुख मेरी कभी नहीं झुक सकती है ।
जब तक अश्रू नहीं रुकेगें शोषित जन की आँखों के ।
तब तक मेरे इंकलाब की कलम नहीं रुक सकती है ।

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