मंगलवार, 7 मार्च 2017

चाहूँ मै रंगना तुमसे ,,,,


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हाथों में है रंग सभी के,खुद को कहाँ
छुपाऊँ रे
चाहूँ रँगना तुमसे ही मैं ,किस किस को
समझाऊँ रे
रंग न जाए कोई दूजा,कान्हा अब तो
आ जाओ
भंग पिए सब रंग लगावत,कैसे बचकर
जाऊँ रे
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सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)

                     

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