मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

मत करो पागल

2122 2122 212
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मत करो घायल नजर के तीर से
मत करो पागल मुझे तुम पीर से
टूटता आया सदा हूँ इश्क में
मत भरो अब इन दृगों को नीर से
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