मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

अपने हिस्से का "दीया"

अपने हिस्से का दीया.......
*******************************  
मानव होकर मानवता निभाता क्यों नही
किसी रोते हुए को कभी हँसाता क्यों नही
वैसे तो बड़ी शिकायते है जमाने से
अपने हिस्से का दीया खुद जलाता क्यों नही?
******************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
रचना-14/02/2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें