कौड़ी के तीन है,,,,,, ******************************** दौलत से राजा,संस्कारों से हीन है स्वार्थ के पुतले,संवेदनाओं से दीन है वैसे तो घोलके पीए बैठे है किताबें पर मानवता के नाम पे कौड़ी के तीन है ******************************* रचना-09/01/2017
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