सोमवार, 9 जनवरी 2017

कौड़ी के तीन है

कौड़ी के तीन है,,,,,,
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दौलत से राजा,संस्कारों से हीन है
स्वार्थ के पुतले,संवेदनाओं से दीन है
वैसे तो घोलके पीए बैठे है किताबें
पर मानवता के नाम पे कौड़ी के तीन है
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रचना-09/01/2017

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