कच्चे घर की तरह ********************************* मौसम के सारे प्रहार हँसकर सहती है
सर पे मेरे वह छाँव बनकर रहती है
जब भी थकता हूँ बड़ा सुकून देती है
किसी घर की तरह मुहब्बत मुझे लगती है ********************************* सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया(छ.ग.) 7828927284 07/12/2016💐
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