बुधवार, 7 दिसंबर 2016

कच्चे घर की तरह

कच्चे घर की तरह ********************************* मौसम के सारे प्रहार हँसकर सहती है
सर पे मेरे वह छाँव बनकर रहती है
जब भी थकता हूँ बड़ा सुकून देती है
किसी घर की तरह मुहब्बत मुझे गती है ********************************* सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया(छ.ग.) 7828927284 07/12/2016💐

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें