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चले थे बन्द जो करने,हुए मुँह
बंद है उनके
मल रहे हाथ अब केवल,हुए सुर
मंद है उनके
विपक्षी द्वेष में पागल,हुए कितने
न पूछो तुम
देशबंद के समर्थन में,समर्थक
चंद है उनके
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सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया(छ. ग.)
7828927284
03/12/2016
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