बुधवार, 26 अक्तूबर 2016

है रीत यहाँ बिलकुल उल्टी

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सूना-सूना मंदिर दिखता,पर मदिरालय
में चहल-पहल
कलयुग तो पापों का कीचड़,पर बनना
चाहे कौन "कमल"
है रीत यहाँ बिल्कुल उल्टी,मुर्दों को
पूजा जाता है
जीते जी मिलता प्यार नहीं ,मरने पर बनते ताजमहल  ।
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सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.)
7828927284
26/10/2016
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