रविवार, 8 मई 2016

कविता-माँ

कविता- माँ (मातृ दिवस पर प्यारी माँ को समर्पित) ********************************* प्रेम का है कुंज और आशीषों का पूंज वही धरती में जीवन का 'स्रोत' कहलाती है विपदा भी घबराते जिसके उच्चारण से शक्ति का वह ऐसा 'स्त्रोत' कहलाती है| जिसका सानिध्य पाने देवता तरसते है शीतल"ममत्व"का वह कूप कहलाती है जिसके निकलने से मिट जाती कालिमा है "माता"वह संस्कारों का धूप कहलाती है ********************************* सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़) 7828927284 08/05/2016 Copyright

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