अधूरा मुक्तक सृजन-271
मुक्तक सृजन-46
आदरणीय सुविख्यात कवि श्री विद्याभूषण जी,एडमिन वीर पटेल जी और आप सभी गुणीजनों को सादर प्रस्तुत...........
""""विश्व विजय करने चले"""""""
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विश्वास अटूट तुमपे ,तुमपे हमें
गुरूर है
लाओगे कप जीतके ,दुआएँ ये
भरपूर है
रोक न सकेगा कोई,कैसा भी हो
तूफान
विश्व विजय करने चलें,सिर्फ दो
कदम दूर है
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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
(छत्तीसगढ़)
7828927284
30/03/2016
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