गुरुवार, 24 मार्च 2016

होली तिहार हरय

********************************* होली तिहार हरय पाप ल बारे के
भीतर म बइठे घमंड ल मारे के
मया अउ प्रेम के रंग उडाय के
छोटे बड़े सबला गला लगाय के
सियान मनके अशीष पाय के
मीठ बोले अउ मिठ खाय के
कचरा ल बार साफ सफई के
फाग के गीत म मदमस्त नचइ के
देश अउ समाज म मिठास घोरे के
घरोघर फइले नशा ल छोरे के
नोहय तिहार एहा अश्लीलता के
चिन्हारी हरे संस्कृति के बिशेषता के|| *********************************===वन्दे मातरम्===
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
७८२८९२७२८४
९७५५५५४४७०
रचना-२५\०३\२०१६
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