बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

गण काला कहीथे?

साहित्य म गण 10 होथे
जेला रटे अउ सुरता रखे बर विद्वान मन अनुसार "यमाताराजभानसलगा"सूत्र बताये हे.....
आखर के बाद वाले दु आखर ल मिलाके गण होथे....
यमाता
मातारा
ताराज
राजभा
जभान
भानस
नसल
सलग
दीर्घ और लघु के तीन तीन अक्षर के सेट बनाये जायें तो कुल 8 सेट बनते हैं । इन्हें ही गण कहा जाता है । इसे याद रखने के लिए साहित्य मनीषियों ने एक सूत्र बनाया है "यमाताराजभानसलगा"
जिस अक्षर से आप गिनना शुरू करेंगे, वह गण का नाम होगा और इन्हीं तीनों अक्षरों की मात्राएँ उस गण की मात्राएँ होंगी ।
उदहारण के तौर पर य से क्रमशः 3 अक्षर लें ।तो पहला अक्षर य है, अतः यगण कहलायेगा । क्रमशः 3 अक्षर होंगे यमाता । यमाता में य लघु है, मा और ता दीर्घ हैं ।तो यगण की मात्राओं का क्रम होगा लघु, दीर्घ, दीर्घ अर्थात् 1,2,2
आप रगण जानना चाहते हैं
तो रा से गिनना शुरू करें ।
राजभा
रा दीर्घ है, ज लघु है और भा दीर्घ है
अतः रगण की मात्राएँ दीर्घ,लघु,दीर्घ
अर्थात् 212 होंगी ।
रगण के शब्द ऐसी ही मात्राओं वाले शब्द होंगे ।जैसे यातना, पालना, बावरा, साँवरा आदि । इन सभी शब्दों में दीर्घ,लघु,दीर्घ याने 212 का मात्रा क्रम है ।
यमाता के उदाहरण बनाना, खिलाना, जमाना, समाना, बुलावा, छलावा, सुशीला आदि हैं। इनमें मात्र क्रम लघु, दीर्घ, दीर्घ माने 1,2,2, है। ऐसे ही अन्य गण भी पहचाने जायेंगे।

आखिर के दो गणों के उपयोग साहित्य में  नही होते

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