सोमवार, 9 नवंबर 2015

ए देवारी ल कुछ अइसन मनाबो - कबिता

"ए देवारी ल कुछ अइसन मनाबो"

ए देवारी ल कुछ अइसन मनाबो
कोनो गरीब के अंधियारी हटाबो
रोवत ल देबो मुसकान चल संगी
जिनगी म ओखर अंजोर बगराबो

दूसर के घर करथे पोतके पररी
खुदके घर ह रहिथे छररी-दररी
चिरहा फटहा पहीनथे लईकामन
उखर लईकाबर कपड़ा बिसाबो

रद्दा म जरे फटाका ल उठाथे
हर बछर कतको मनेमन ललाथे
पछताथे अपन गरीबी के ऊपर
अइसन लईका ल फटाका देवाबो

चाइना लाइट म कइसन तिहार
जा के देख बाट जोहतहे कुम्हार
नइ करन मोल अउ भाव ओखरकर
परन लव माटी के दीयना जलाबो

छत्तीसगढ़िया के हक ल देवाबो
छत्तीसगढ़ी म बोलबो-गोठियाबो
तब मनही सबझन के सुग्घर देवारी
छत्तीसगढ़ के संस्कीरति ल बगराबो

तिहार उही जेन सबला मिलाथे
घर-घर म जेन खुसी ल फ़इलाथे
पत्ती ल झन बाटव तुमन जुवा के
दुःख बाँट कखरो मनखे कहाबो|

📝सुनिल शर्मा नील
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
09/11/2015
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