मंगलवार, 10 नवंबर 2015

रूप चौदस में-कविता(10/11/2015)

तन की सुंदरता न देना पर मन की
दे देना तुम
रूप चौदस के उत्सव में एक कृपा
प्रभु करना तुम

ऐसी सुंदरता किस काम की जो एक
दिन ढल जाती है
मन की सुंदरता जबकि मरने पर भी
रह जाती है

सुंदरता के दम पर देखो व्यक्ति कैसे
इठलाता है
जब झुर्रीमय देह होता है तब पीछे
पछताता है

तन के आकर्षण में देखो कितने इंसान
बर्बाद हुए
जो मन को सुन्दर रखते थे जीते जी
भगवान हुए

जिसमे सुंदरता संग मानवता के गुण
भी होते है
ऐसे महामानव जीवन में बस बिरले ही
होते है

नानक,तुलसी और कबीर सारे हमको
सिखलाते है
सुंदरता आकर्षण है व्यक्ति मेहनत से
पूजे जाते है

जीवन क्षणिक बुलबुला है एक दिन फट
ही जाना है
हर पल में प्रेम भर दे एक दिन सबको जाना है|
सुनिल शर्मा 'नील'
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284




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