सोमवार, 19 अक्तूबर 2015

अंतस म बइठे रावन ल मारे के संदेस देथे दसेरा

दसेरा हमर देस के बिसेसकर हिन्दू समाज के परमुख तिहार हरय|दसेरा हर बछर कुवार महीना म नवरात के दसवा दिन(दसमी तिथि )म मनाय जाथे|आजे के दिन सतयुग म भगवान राम ह रावन के बध करके दुनिया ल ओखर जुलुम ले मुकति देवाय रहिसे|ओखर सेती दसेरा ल असत उपर सत के जीत के तिहार घलो केहे जाथे| आज के दिन सस्त्रमन के घलो पूजा होथे तेखर सेती येला बिजय परब या बिजयदसमी नाव दे गे हवय|आजे के दिन भगवान राम के रावन उपर जीत के खुसी म गाँव-गाँव अउ सहर मन म मेला भराथे अउ रामलीला के अयोजन होथे|कथा हे कि दुरगा दाई के नव दिन पूजा करके परसन करे के बाद राम भगवान आजे के दिन दाई के असीस ले रावन के बध करे रिहिसे|गाँव-गाँव ले मनखेमन आज मेला घुमे बर आथे|नान-नान लईकामन राम-लखन,बजरंगबली,जामवन के रूप धरके टेकटर म चढ़के झाकी निकलथे|इही राम के सेना ह मइदान(खार)म रखे बुरइ के परतीक रावन के बध करथे|झाकी के आघु-आघु भगवान के निसान(राम-लखन-हनमान अउ सीता के परतीक) ह बाजा संग निकलथे जेखर जघा-जघा लहुटती बेरा पूजा होथे|संगेसंग बाजागाजा संग कई मनखे करतब देखावत कलाबाजी करत रेंगथे अउ अपन ताकत देखाथे|कोनो गदा,कोनो तलवारबाजी त कोनो आगी संग खेल करके अपन करतब ल देखाथे|आनी-बानी के रूप धरे बहरूपिया मन घलो आज घूमत रहिथे|आनी-बानी के झुलना,रचुलीमन लईका अउ बड़ेमन के मन मोहथे|आनी बानी के खउ-खजानी,मिठइ,समोसा,जलेबी,चाट-गुपचुप,पान के ठेला ,फुग्गा,खेलवना के दूकानमन सबके मन ल ललचा डरथे|भीड़ म गोड़ रखे के घलो जघा नइ राहय|रामजी ह सेना संग रावन,मेघनाथ अउ कुम्भकरन के बध ल करथे अउ जम्मों समाज ल अपन अन्तस म बइठे काम,मोह,गुस्सा,गरब,आलस,चोरी,नसा,लालच,झूठ अउ जलनखोरी के दसो रावन रूपी बुरई ल मारे के सन्देस देथे|आज कस पबरीत दिन म घलो कई मनखे गलत काम करथे जेन बने बात नोहय|

"नीलकंठ के दरसन हे सुभ"
दसेरा के दिन नीलकंठ चिरई के दरसन अड़बड़ सुभ माने गेहे|नीलकण्ठ ल पबरीत अउ सुखदायक माने गेहे काबर कि नीलकंठ भगवान भोलेनाथ के घलो नाव हे अउ नीलकंठ ल संकर भगवान के मयारू चिरई केहे गेहे|

"माटी के रावन मारे के हे परथा"
रावन,मेघनाथ अउ कुम्भकरन के बड़का पुतरा तीर म एकठन माटी के अउ रावन बनाय जाथे जेला रावन के बध के बाद मनखे मन ओखर देहे के नाननान माटी ल लाथे ये माटी ल अपन घर के तिजोरी अउ दूकान के गल्ला म रखथे|रावन अंदर लाखो बुरइ होय के बाद घलो ओहा परकान्ड बिद्वान अउ रिसी के रकत रहिसे|राम ह घलो लखनलाल ल रावन करा ले आख़िरी सिक्षा ले बर ओखरे सेती भेजे रहिसे|ओखर इही गुन के सेती ओखर देहे के माटी ल लाने जाथे| एखर से हमला सीख मिलथे कि मनखे ल कोनो मेर ले होवय बने गुन ल धरना चाही|

"बस्तर म होथे पचहत्तर दिन के दसेरा"
भारत म अलग-अलग परदेस म अलग-अलग ढंग ले दसेरा मनाय के परथा हे|कोनो जघा येला देबी ल त कोनो जघा राम भगवान ल समरपित करे गेहे|हमर छत्तीसगढ़ म बस्तर म दसेरा ल दंतेसरी दाई ल समरपित करे गेहे|दंतेसरी ह बस्तर के आराध्य देबी हरय|इहा पचहत्तर दिन के बिस्वपरसिध दसेरा होथे|पहिली दिन ल काछिन गादी कहिथे|दसेरा बर काछिन गादी करा ले आदेस ले जाथे|काछिन गादी एकझन इस्थानी कनिया होथे|काछिन गादी ले राजपरिवार ह आदेस लेथे|ये परथा ह पन्दरही सताब्दी ले चालु होय हे| ओखर बाद जोगी बइठइ,भीतर रैनी(दसेरा)अउ बाहिर रैनी मुरिया दरबार म होथे|अइस्नेहे भारत के दूसर राजमन म उड़ीसा,असम,करनाटक,गुजरात,तमिलनाडु अउ मइसुर म अलग-अलग ढंग ले दसेरा ल मनाथे|

"पीढ़वा म खड़े करके आरती उतारना"
दसेरा मेला ले आय के पाछू घर के माई लोगिन मन बेटा जात मन ल |चउक पुरके पीढ़वा रख के ओखर ऊपर खड़े करवाके आरती उतारथे अउ पइसा धराथे|आरती उतारे के पाछु ये कारन हे कि ओमन ल राम-लखन के सरूप माने जाथे अउ रावन के बध कर के आय के खुसी म उमन ल राम-लखन मान के आरती उतारे जाथे|पूजा के बाद आज पान खाय के घलो बिसेस महतव हे| सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया, बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470 (CR)
12 अक्टूबर

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