रविवार, 4 अक्तूबर 2015

धन्य है ऐसे सिक्ख वीर

(भारत माता के बेटे इंदरपाल सिंह द्वारा पंजाब में डूबते 4 लोगो के जीवन बचाने पर आभार प्रकट करती और सिक्ख धर्म के गौरवमयी इतिहास में योगदान को प्रदर्शित करती मेरी ताजा रचना समस्त सिक्ख भाइयों को सादर समर्पित है)
रचनाकार-सुनिल शर्मा नील,
थान खम्हरिया बेमेतरा(छ.ग.)
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धन्य है ऐसे सिक्ख वीर चिड़ियों से बाज लड़ाते है
भारत माता के रक्षा हित जो कुर्बां हो जाते
है
जिनके रगों में देशभक्ति का लहू प्रवाहित होता
है
जिनके बलिदानों पर इतिहास आधारित होता
है
जिन गुरुओं के एहसानों का भारतवर्ष आभारी है
नरसिंहों सी ताकत जिनमे सवा लाख पे भारी
है
जिन जाबाजों के दम पर ही आजादी हमने पाई है
हिन्दू धर्म की रक्षा में जिन्होंने कितनी लड़ी लड़ाई है
जो जनेउ और तिलक के खातिर सूली पे चढ़ जाते है
मानवता के रक्षक वें गुरु अर्जुन-तेग कहाते
है
जिन सिंहों के दहाड़ से मुगल सल्तनत डोला
था
धन्य है बेटा वीर भगत जो रंग दे बसन्ती बोला था
जिन साहिबजादों पे देश के हर माता को नाज
है
खालसा के उन रणबांकुरों को बारम्बार प्रणाम
है
जिन सिक्खों के उदघोषों से शत्रु सारे थर्राते
है
जिनसे टकराने में कातिल तूफां भी घबराते
है
जात-पात का भेद क्या रखना हमको ये सिखलाते है
गुरूद्वारे के लंगर सारे समता का पाठ पढ़ाते
है
धर्म यही जिसने 'औरंग' के घमंड को चूर-चूर किया
न बदला मजहब बल्कि सर अपना देना कुबूल किया
सरल,सहज,उद्मशीलता जिनके चरित्र की शान है
कड़ा,कंघा,कृपाण,केश और कच्छा जिसका मान है
एक ओंकार और सतनाम जिस धर्म का आधार है
समानता एवं वीरता ही जिन लोगो का संस्कार
है
कहें 'सुनिल नील' पाठ एक सिक्खों से हर कोई सीख जाएँ
भारत माता के लिए जिएँ इसके खातिर ही मिट जाए|
कवि सुनिल शर्मा 'नील'
(कृपया मूल रूप में ही शेयर करें कविता से छेड़खानी न करें)

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