शनिवार, 24 अक्तूबर 2015

तुमसा कहाँ कोई आज दिखता है..

(क्रिकेट के अपने नायक विरेंदर सहवाग को उनके सन्यास पर समर्पित यह कविता|कृपा कर मूल रूप में ही शेयर करे)
(रचनाकार-सुनिल शर्मा नील)
तुमसा कहाँ कोई आज दिखता है

न वो जज्बा ,न बेख़ौफ़ अंदाज दिखता है
खिलाड़ी तुमसा कहॉ आज दिखता है

आँधी बनकर टूटा करता था बोलर्स पे
विश्व में कहाँ ऐसा 'सहवाग' दिखता है

दिग्गजों ने मानी जिसके बल्ले की धाक
कहॉ कोई ऐसा सूरमा-सरताज दिखता है

जिसे कहती है दुनिया क्रिकेट काभगवान
उन आँखों में भी तेरे लिए नाज दिखता है

तिहरे शतक ,मेंडिस से भिड़ंत कैसे भूलें
हर भारतीय को तुझमें खास दिखता है

छक्के और चौकों के तो जादूगर हो तुम
पाकीयों में आज भी खौफ साफ दिखता है

कहे "नील"लाखों आएँगे क्रिकेट में देखना
पर अजूबा तुमसा न होगा दिल कहता है|

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284

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