सोमवार, 19 अक्तूबर 2015

सक्ति के अराधना के परब "नवरात"

हमर छत्तीसगढ़ अउ जम्मों भारत देस म नारी ल दाई कहे गेहे|अइसे कहे जाथे कि नारी(दाई)ह जग म जिनगी के गंगोतरी हरय|अइसन पावन दाई(पुरान अनसार भगवती दाई)जेनला सक्ति कहे जाथे के अराधना के परब 'नवरात'रूप म मनाय जाथे|भगवती दाई के पूजा अउ अराधना बर नवरात ल अड़बड़ सुभ माने जाथे|देवता-धामी ,गन्धरव अउ मनखे सबो नवरात म दाई के पूजा करके ओखर अशीष पाय बर ललाय रहिथे|हिनदू पनचांग अनसार दाई के अराधना के परब नवरात ह बछर म दू बेर आथे|पहिली बेर के नवरात जउन चइत म परथे तउन चइत नवरात अउ दूसर नवरात जउन कुवाँर महीना म परथे तउन कुंवार नवरात या सारदे नवरात(जुड़ म आथे तेखर सेती एक नाव)कहाथे| कुवार के नवरात म संगे-संग राम भगवान के पूजा अउ रामलीला होथे जबकि चइत नवरात म सिरिफ दाई के पूजा होथे|नवरात परब म दाई अराधना ले परसन होके अपन भगत के जम्मों दुःख ल हरलेथे अउ सुख अउ समरीद्धि के अशीष देथे|बरम्हा,बिस्नु अउ महादेव भर ल नहीं अखिल बिस्व के चर-अचर,जर अउ चेतन के रचइया सक्ति दाई(भगवती) हरे|

"गाँव-गाँव जलथे दाई के जोत"
जोत ल दाई के सक्षात सरूप माने गेहे|नवरात म गाँव-गाँव मातादेवाला मन म दाई के दरबार म भगत मन मनकामना जोत जलवाथे| नव दिन-नव रात माता के खूब सेवा गीत अउ भजन गा के दाई ल परसन करे जाथे|नवरात के पाछु ले जोत जलइया मन के दउड़-भाग मन्दिर देवाला म चालू हो जथे|मातदेवाला के साफ़-सफई,पोतई नवरात के तय्यारी म पाछु ले चालू हो जथे|जघा-जघा पारा अउ चउक मन म पंडाल म दाई के मूरति बिराजथे अउ आनी-बानी के झाकी ह मन ल मोहथे|दाई के सोला सिंगार ह अउ पंडाल मन के सजावट ह,चमक-धमक ह भगत मन ल अड़बड़ निक लागथे|एकम के पाछु दिन बिरही(गहू)फिलोय जाथे जेला पूजा के बाद दाई के दरबार म माटी म बोय जाथे|हमर छत्तीसगढ़ राज म दाई के अड़बड़ अकन सिध सक्तिपीठ हे जेमा परमुख रूप म डोंगरगढ़ के बमलाई,रतनपुर के महमाई,दंतेवाड़ा के दन्तेसरी,कोरबा के सर्वमनगला दाई,बेमेतरा के भद्रकाली अउ रायपुर के बंजारी प्रमुख हे|नव दिन तक इहा दुनो नवरात म खूब भीड़ रहिथे|मनखे मन दरसन पाय बर मनौती लेके लाखो के सनखिया म पहुचथे|कतको मनखे रेंगत हजारो के सनखिया म दाई के जयकारा लगावत मनदिर पहुचथे|नव दिन तक तिहार कस लागथे|नव दिन ले सरधालू मनखे मन फल-फूल खाके उपास रहिथे अउ सादापन म नव दिन ल बीताथे|

"दाई के नवरूप के होथे पूजा"
गाँव-गाँव मातादेवाला अउ पनडाल मन म दुरगा दाई के अलग-अलग नव रूप के पूजा होथे|नवरात के बिषय म कहे गेहे- "प्रथममशैलपुत्री च द्वितीयं ब्रम्ह्चारिणी| तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्|| पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यानीति च| सप्तमं कालरात्रिति महागौरीति चाष्टमम्|| नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः| उक्तान्येति नामानि ब्रम्हनैव महात्मनाः|| नवरात के पहिली दिन दाई के पहिली रूप सैलपुत्री के पूजा होथे| सैलपुत्री ल जर जिनिस मन के देबी कहे गेहे|दाई ह अपन पहिली रूप म सनदेसा देथे कि हम अपन भगवान ल जर म घलो देखन|दूसर दिन दाई के ब्रम्ह्चारिणी रूप के पूजा होथे|ब्रम्ह्चारिणी माने जर म चेतन के होना|तीसर दिन तीसरा रूप चन्द्रघण्टा दाई के अराधना करे जाथे|एला बुद्धि के सरूप कहे जाथे|चउथा दिन चउथा सरूप कुष्मांडा के पूजा होथे|कुष्मांडा माने अंडा ल धारन करइया माने अइसन देबी जेन मनखे(नर-नारी )ल सनतान बर गरभधारन के सक्ति देथे|पांचवा दिन स्कंदमाता माने लईका के दाई-ददा के सरूप,छठवा दिन कत्यायनी अरथात भगवती के दाई-ददा के सरूप,सातवा दिन दाई के सातवा सरूप कालरात्रि माने काली माता के पूजा होथे|अइसे कहे जाथे कि जम्मों जर-चेतन ल मरत बेरा काली माता के सक्षात दरसन होथे|दाई के आठवा सरूप महागौरी यानी गोरा रंग अउ रूप वाली,अउ नौवा सरूप सिद्धिदात्री यानी सिद्धि के देवइया के पूजा होथे|ये नव दिन मनखे ह फलफूल भर खाके भक्तिभाव अउ सादगी ले जियत उपास रहिथे|

#कनिया भोजन#
असटमी के दिन हूमहवन के बाद नाननान देबीसरूप नोनी मन ल सुग्घर गोड़ धोवा के महूर लगा के उखर पूजा कर के खीर,सोहारी अउ कलेवा खवाय जाथे|अउ पाव परे जाथे|बिन कनिया भोजन नवरात के पूजा के पूरा फल नई मिलय| #नवरात अउ दसेरा मनाय के पाछु पौरानिक कथा# नवरात मनाय के पाछु एक ठन कथा हे कि महिसासुर नाव के अड़बड़ बलसाली राक्षत रहिसे जेला बरमहा,बिस्नु अउ महादेव तीनो ले नइ हारे के बरदान रहिसे ओखर पाप ल देखके तीनो देव के सक्ति ले दुरगा दाई के जनम होइस जेन राक्षत महिसासुर ल मारके ओखर पाप ले धरती ल बचाइस| दूसर कथा रमायन म निकलथे कि भगवान राम ह रावण ऊपर बिजय पाय खातिर नव दिन तक चण्डी दाई के पूजा करीस अउ दसवा दिन ओखर किरपा ले रावन के बध करीस तेखर सेती नवरात के बाद दसमी के दिन ल दसेरा के रूप म मनाय जाथे ये परब ल असत ऊपर सत के जीत के परब कहे गए हे|

#परब मन म डीजे संस्कीरति के गरहन#
हमर छत्तीसगढ़ म जसगीत ल ढोलक अउ मंजीरा म सुग्घर सकला के गा के सेवा करे अउ दाई ल परसन करे के परथा हे|फेर पाछु कुछ बच्छर ले डीजे के संसकीरटी ल नवा लईका मन अपनावत जात हे जेन आस्था कम अउ देखावा,हल्ला-गुल्ला,तमासा जादा लगथे|हमर नवा पीढी ल ये बात ल समझे ल परही कि दाई ह परेम अउ भक्ति म परसन होथे न कि बिदेशी आनी-बानी के कान के परदा ल फोरैया डीजे म|जम्मों छत्तीसगढ़ के नवा लईकामन ह येला खतम कर सकत हे|हमर छत्तीसगढ़ के चिन्हारी हमर पोठ संस्कीरति ले हे न कि डीजे ले एक्खर सेती परब मन म एखर बिरोध होना चाही अउ बने सादा तरीका ले दाई के नवरात ल मनाना चाही अउ ये गरहन ले हमर छत्तीसगढ़िया संस्कीरति ल बचाना चाही|
सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
(छत्तीसगढ़)
7828927284
9755554470

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