सोमवार, 7 सितंबर 2015

मोला काबर टोनही कहिथे

महू आवव दाई नानकुन लईका के
मोरो छाती भीतरी हिरदे धड़कथे
जब-जब मारथे पथरा कोनो तव
पीरा म मोरो अंग-अंग ह तड़पथे
महुला अपन परिवार ले मया हे
देहे ले ममता के अमरित पझरथे
फेर काबर अनियाव होथे मोर ऊपर काबर दुनिया अतका जुलुम करथे?
दुनिया काबर मोला टोनही कहिथे?

गारी देथे गाँव के जम्मों मनखे मन
मोला देख अपन रेंगत रद्दा बदलथे
कोनो राक्षसिन ,कोनो मनहूस किथे
कान तीपथे तभो मुहीला आँखी तरेरथे
कभू चुन्दि हपाट के रद्दा म घिरलाथे
कभु बिन कपड़ा के गाँव भर घुमाथे
कभु रुख म बाँधके मोला कोहा मारथे
पढ़े-लिखे जमाना काबर तमाशा देखथे?
दुनिया काबर मोला टोनही कहिथे?

का तिरिया जनम लेना कोनो पाप हे
का अपन जिनगी ल जीना शराप हे
का इही बिकास आवय ज़माना के
जउन ससकतिरण के गोठ करथे
दूसर डाहर नारी ल लात-जूता मारथे
जम्मो बिकास मनखे के अभिरथा हे
जब तक टोनही नाव के लेवइया हे
ए सोंच ल समाज काबर पन्दौली देथे?
दुनिया काबर मोला टोनही कहिथे?

सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
(प्रकाशित)

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