मंगलवार, 28 जुलाई 2015

कलाम साहब तुम कहाँ चले गए

#कलाम साहब तुम कहाँ चले गए# -   
#कलाम साहब तुम कहाँ चले गए#
    :::श्रद्धांजलि कलाम साहब:::

मासूम सा चेहरा पर एक विलक्षण व्यक्तित्व
प्रतिक्षण मुस्कान बिखेरता दमदार कृतित्व
बच्चों के प्यारे-दुलारे,गर्व करते जिनपे सारे
इतनी जल्दी आखिर क्यों अलविदा कह गए?
कलाम साहब तुम कहाँ चले गए?

बच्चों को सपनें देखना अब कौन सीखाएगा
भारत दुश्मनो को अब किसके दम पे डराएगा
मुस्कुराकर अपने हाथ हवा में कौन लहराएगा
भारतवर्ष केे ध्रुवतारे किस अँधेरे में खो गए?
कलाम साहब तुम कहाँ चले गए?

नाग,अग्नि,पृथ्वी,त्रिशूल,ब्रम्होस सब निराश है
पोखरण भी तुम्हारे जाने से कितना उदास है
सिर्फ वैज्ञानिक-सर्जक नहीं मिट्टी की खुशबू हो
भारतमाता को रोता छोड़ तुम कहाँ बिछड़ गए?
कलाम साहब तुम कहाँ चले गए?

निश्चित है तुम्हारे हर शब्द हमें बहुत याद आएँगे
तुम्हारे प्रेरणा जल से लाखो कलाम उग आएँगे
नवभारत का सपना होगा साकार तब सच में
मिसाइलमैन तुम भारत को नयी पहचान दे गए
कलाम साहब तुम कहाँ चले गए?

सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
रचना-28/07/2015









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